अम्बेडकर नगर ,चिंतौरा l घाघरा नदी के किनारे बसे बाढ़ पीड़ितों की कहानी #PVCHR #INSEC #NOREC #SANGRAM #AMBEDKAR NAGAR #FK

आज 5 मार्च 2019 को अम्बेडकर नगर चिंतौरा बस्ती में हम चार लोग (शबाना मैम , मानवाधिकार जन निगरानी समिति के कार्यकर्ता मनोज जी , FK fellow अणु , विनती ) 9:00 बजे सुबह पहुंचे l यह अम्बेडकर नगर मुख्यालय से 20 km दूर सड़क के किनारे स्थित था , जो घाघरा नदी के किनारे कुल 40 मांझी परिवार बसे हुवे है l हम सब चिंतौरा बस्ती के लोगो से मिले बात चीत किए l रामकृपाल मांझी ने बताए की हमलोग घाघरा नदी के किनारे मांझा में बसे हुवे थे और नाव चला कर किसी तह अपना जीविका चलाते थे लेकिन एक दिन अचानक से 1975 में बाढ़ आया और हमलोगों को बहाना सुरु कर दिया हमलोग सब बहुत मुस्किल से अपना-अपना जान बचाते हुवे वंहा से बच निकले उस वक्त हमारे पास न तो कुछ खाने को था ना पहनने को समझ नही रह था , फिर सभी बिचार कर हम लोग एस डी एम के पास गए और उन्होंने हम सब को 1975 में टांडा ब्लॉक के चिंतौर बस्ती में 76 मांझी परिवारों को बसाए, किन्तु किसी को जमीन का कागज नही मिला था l फिर से हम लोग झोपड़ी बना कर और मौसमी फसल ऊगा कर अपना गुजर-बसर करने लगे l लेकिन हमारी खुशी को कुछ दबंगों का नजर लग गई और फिर से हमारी जिंदगी में मानो बाढ़ आ गई l दबंग व्यक्ति चन्द्रमोहन,हर किशोर, श्रीनाथ, रामनाथ हमें यंहा से हटाने लगे , हमारे फुस की बनी झोपड़ी को उजाड़ने लगे और धमकियां देने लगे अगर यंहा से नही भागोगे तो जान से मार देंगे, और कांटा का घेराव कर दिया बच्चे महिलाएं सभी को चलना मुस्किल हो गया l फिर हम सब दूसरे आये एस डी एम के पास गये उन्होंने गांव आये और बोले यह जमीन तुमलोग छोड़ दो और बात मान लो और वापस चले गये l फिर हम लोग शंखलाल मांझी (मंत्री) से मिले ओ आये और कांटा हटवाए l लेकिन 2017 से आये दिन लगातार जमीन छोड़ने की और जान से मारने की धमकियां देने लगे l हमलोग एस डी एम ऑफिस ,जिला भी गए, कोई हमलोगों की बात नही सुने ,और दबंगों के कहने पर हमें सात बार पुलिस ने जेल भी ले गया 24 घंटे 36 घंटे टाण्डा थाना में बैठा कर के और छोड़ देते कितने तरह से परेशान करने लगे l हमलोगों को लग रहा था क्यो भगवान जन्म दिए थे l फिर मानवाधिकार जान निगरानी समिति के डॉ. लेनिन जी आये और हमारी मुलाकात उनसे हुवी और उनको हमलोग सारि बात बताये सारे कागज दिखाए ,उन्होंने कहा की अब आपकी लड़ाई हम लड़ेंगे और 8 साल लड़ाई लड़ने के बाद जमीन का पट्टा मिल गया l 5 लोग घर बना लिए और रह रहे है l अभी हमारी लड़ाई खत्म नही हुवी है l मूल-भूत सुबिधाओं के लिए अभी हमारी लड़ाई अभी जारी है l

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